कुछ ऐसा ढूंढ़ रही हूँ मैं,
जो चिर काल तक संग रहे,
वो जो बदले कोई रंग नविन,
तो जीवन सतरंगी कर दे…
एक हँसी कि जिसकी सरगम में,
जलतरंग का सुकून सा हो,
एक अग्नि जिसके ताप में भी,
ऊष्मा हो लेकिन जलन न हो.…
वो स्वप्न मेरा मिल जाए तो,
ये मन भी एक कोना ढूंढ़े,
वरना इस दुर्गम राह में,
ये राही घाट घाट भटके।
मैं चाहूँ इसको भी पाना,
वो भी तो छोड़ ना पाऊँ मैं,
क्यों मैं उस पल हंसना चाहूँ ,
जब आँखें आंसूं से गीली हों .
नहीं और चाहिए मृगतृष्णा ,
अपनों का ना कभी परित्याग करूँ ,
संभवत: ना हर स्वप्न पा जाऊं ,
जिसकी मैं खुद से आस करूँ।
दुविधा अब नहीं चाहिए मुझे,
मैं हर विकल्प का त्याग करूँ ,
जो चिर काल तक संग रहे,
उस स्वप्न का अब आह्वान करूँ।
जो चिर काल तक संग रहे,
वो जो बदले कोई रंग नविन,
तो जीवन सतरंगी कर दे…
एक हँसी कि जिसकी सरगम में,
जलतरंग का सुकून सा हो,
एक अग्नि जिसके ताप में भी,
ऊष्मा हो लेकिन जलन न हो.…
वो स्वप्न मेरा मिल जाए तो,
ये मन भी एक कोना ढूंढ़े,
वरना इस दुर्गम राह में,
ये राही घाट घाट भटके।
मैं चाहूँ इसको भी पाना,
वो भी तो छोड़ ना पाऊँ मैं,
क्यों मैं उस पल हंसना चाहूँ ,
जब आँखें आंसूं से गीली हों .
नहीं और चाहिए मृगतृष्णा ,
अपनों का ना कभी परित्याग करूँ ,
संभवत: ना हर स्वप्न पा जाऊं ,
जिसकी मैं खुद से आस करूँ।
दुविधा अब नहीं चाहिए मुझे,
मैं हर विकल्प का त्याग करूँ ,
जो चिर काल तक संग रहे,
उस स्वप्न का अब आह्वान करूँ।
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